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विश्वावसुः
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وشواسو
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विश्वावसू
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بِسواوسُو
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விஷ்வாவசூ
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বিশ্ববাসু
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ବିଶ୍ୱାବସୁ
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ਵਿਸ਼ਵਾਵਸੁ
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વિશ્વાવસુ
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വിശ്വവവസു
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विश्वावसु
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एकनाथी भागवत - श्लोक ३३ वा
नाथमहाराजांचा हा प्रासादिक ग्रंथ परमपूज्य असल्याने यावर भक्तजनांची आदरबुद्धी आहे.
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musician
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ब्रह्मपुराणम् - अध्यायः १३२
ब्रह्मपुराणास आदिपुराण म्हणतात. यात सृष्टीची उत्पती, पृथुचे पावन चरित्र, सूर्य आणि चन्द्रवंशाचे वर्णन, श्रीकृष्ण-चरित्र, कल्पान्तजीवी मार्कण्डेय मुनि चरित्र, तीर्थांचे माहात्म्य अशा अनेक भक्तिपुरक आख्यानांची सुन्दर चर्चा केलेली आहे.
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श्रीविष्णुपुराण - द्वितीय अंश - अध्याय १०
भारतीय जीवन-धारा में पुराणों का महत्वपूर्ण स्थान है, पुराण भक्ति ग्रंथों के रूप में बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं।
The Vishnu Purana is a religious Hindu text and one of eighteen Poranas.
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आचारकाण्डः - अध्यायः ५८
विष्णू पुराणाचा एक भाग असलेल्या गरूड पुराणात मृत्यूनंतरच्या स्थितीबद्दलची चर्चा आहे, शिवाय श्रद्धाळू हिंदू धर्मीयांमध्ये मृत्यूनंतर जी विविध क्रिया कर्मे केली जातात, त्याला गरूडपुराणाची पार्श्वभूमी आहे.
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बृहती
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त्रेतायुगसन्तानः - अध्यायः ५२
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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तिष्यसन्तानः - अध्यायः ७७
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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आचारकाण्डः - अध्यायः १३९
विष्णू पुराणाचा एक भाग असलेल्या गरूड पुराणात मृत्यूनंतरच्या स्थितीबद्दलची चर्चा आहे, शिवाय श्रद्धाळू हिंदू धर्मीयांमध्ये मृत्यूनंतर जी विविध क्रिया कर्मे केली जातात, त्याला गरूडपुराणाची पार्श्वभूमी आहे.
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मध्यम भागः - अध्यायः ६६
ब्रह्माण्डाच्या उत्पत्तीचे रहस्य या पुराणात वर्णिलेले आहे.
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त्रेतायुगसन्तानः - अध्यायः ३४
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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त्रेतायुगसन्तानः - अध्यायः २८३
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ५८५
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ५८७
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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द्वापरयुगसन्तानः - अध्यायः १०८
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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तिष्यसन्तानः - अध्यायः १०१
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ४०८
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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त्रेतायुगसन्तानः - अध्यायः १४६
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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वेतालपञ्चविंशति - कथा १६
`बेताल पचीसी' पच्चीस कथाओं से युक्त एक ग्रन्थ है । इसके रचयिता बेतालभट्ट बताये जाते हैं जो न्याय के लिये प्रसिद्ध राजा विक्रम के नौ रत्नों में से एक थे । ये कथायें राजा विक्रम की न्याय-शक्ति का बोध कराती हैं ।
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उत्तरार्धम् - अध्यायः ८
वायुपुराणात खगोल, भूगोल, सृष्टिक्रम, युग, तीर्थ, पितर, श्राद्ध, राजवंश, ऋषिवंश, वेद शाखा, संगीत शास्त्र, शिवभक्ति, इत्यादिचे सविस्तर निरूपण आहे.
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अनेकार्थसङ्ग्रहः - चतुःस्वरकाण्डः
आचार्यश्रीहेमचन्द्रेण विरचितः अनेकार्थसङ्ग्रहो नाम कोशः
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